सारण के मिट्टी के लाल रजनीश ओझा का भोजपुरी कविता "दारुबंदी" बहुत वायरल हो रहा है।।।
- रजनीश ओझा
चोरवन के चानी बा, पुलिस के आनंद बा,
हल्ला बा ! बिहार में दारू बंद बा ।
भईया का बारात में बान्हल आर्केस्ट्रा बा,
भरल कार्टून बा आ दु बोतल एक्स्ट्रा बा ।
थाना आ पुलिस के कइल रजामंद बा,
हल्ला बा ! बिहार में दारू बंद बा ।
मऊसी का बेटा के कलकता में घर बा,
खाली तनी जक्सन पर पुलिस के डर बा ।
बेग में बोतल बा, मन सकरकंद बा,
हल्ला बा ! बिहार में दारू बंद बा ।
देह जैसे लाठी ह, आम के आंठी ह,
गरई के चिखना आ देसी चुआँठी ह ।
जेठ का घाम में सुतल बा बान्हा पर,
दारु का नासा में गर्मी में ठंड बा ।
हल्ला बा ! बिहार में दारू बंद बा ।
बाटे परीक्षा आ यूपी में सेंटर बा,
ट्रेन के टिकट बा दारू के कैंटर बा ।
पीएम, नहाएम, आ भर के ले आएम,
बबुआ का मन में गजबे उमंग बा ।
हल्ला बा ! बिहार में दारू बंद बा ।
मालिक का दूअरा पर छीले के घास बा,
आज का दारू के उनके पर आस बा ।
बनिहारी का ऊपर से दस रुपया मिलेला,
पाउच पीके आइल बा मेहरी पर रंज बा ।
हल्ला बा ! बिहार में दारू बंद बा ।।
तरकुल का गाछी तर लागल उहे भीर बा,
भोर के तारी ह मीठ जैसे खीर बा !
पासी का मउगी के देख देख पियेला,
मरले बा तीन लोटा, नासा परचंड बा ।
आ हल्ला बा, बिहार में दारू बंद बा !
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